असट धातु की काइआ :-
१ ( आत्मा+परात्मा) के निराकारी शरीर(काइआ) के ८ (असट) गुण(धातु) जो कि मूल-मन्त्र (ओअंकारु, सतिनामु, करता पुरखु, निरभउ, निरवैरु, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं) में बताये गए हैं |
मन के अंतरात्मा से जुड़े रहने (अंतर्मुखी होने) और गुरबाणी की शबद विचार से हासिल गिआन द्वारा ही इन ८ धातुओं के बारे में भेद पता चलता है |
असटमी असट धातु की काइआ ॥
ता महि अकुल महा निधि राइआ ॥
गुर गम गिआन बतावै भेद ॥
उलटा रहै अभंग अछेद ॥९॥
-गउड़ी थिंती (भ. कबीर ), श्री आदि ग्रन्थ पन्ना ३४३
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