Tuesday, October 9, 2012

Piyoo Daaday Jayvihaa Potaa Parvaanu


पियू दादे जेविहा पोता परवाणु ॥ 

- रामकली की वार; ३ (भ. बलवंड सता ), श्री आदि ग्रन्थ; पन्ना ९६८ 


पियू दादे और पोते के बारे में जानकारी लेने के लिए हम गुरमत की इस पंक्ति को आधार बना कर चलेंगे 

पड़िऐ नाही भेदु बुझिऐ पावणा ॥ - पन्ना १४८

भाव, बिना समझे(विचारे) महज पढने मात्र से ही गुरबाणी में बताये गए सच को समझा नहीं जा सकता 
आओ गुरबाणी में से विचारें की मन, जो कि जोत सरूप है , इसके माता-पिता कौन हैं?

कुछ परमाण:-


तूं मेरा पिता तूंहै मेरा माता ॥-  पन्ना  १०३  

मेरा पिता माता हरि नामु है हरि बंधपु बीरा ॥ -पन्ना  १६३  
तूं गुरु पिता तूंहै गुरु माता तूं गुरु बंधपु मेरा सखा सखाइ ॥३॥ -पन्ना १६७ 
गुरदेव माता गुरदेव पिता गुरदेव सुआमी परमेसुरा ॥ -पन्ना २५० 
हरि नामु पिता हरि नामो माता हरि नामु सखाई मित्रु हमारा ॥ - पन्ना ५९२ 
 हरि आपे माता आपे पिता जिनि जीऊ उपाइ जगतु दिखाइआ ॥  - पन्ना ९२१ 
हरि जी माता हरि जी पिता हरि जीऊ प्रतिपालक ॥ - पन्ना ११०१


अतः मन के माता-पिता दोनों "चित्त , गुर , हरि, गुरदेव , सतिगुर , गोबिंद, प्रभ " इत्यादि हैं , जो कि पूरणब्रह्म का रूप हैं 
अब बूझो (जानो) कि दादा यां बाबा कौन है ?
यह परमेश्वेर , गुरु, सतिगुरु , यां प्रभू है जो कि पारब्रह्म का रूप है   

पीऊ दादे का खोलि डिठा खजाना ॥ - पन्ना  १८६

इसका भी अर्थ यही बनेगा कि गुरबाणी "पियू दादे का" खजाना है 

                          पीऊ :- चित्त, गुर , हरि , सतिगुर ,गुरदेव,गोबिंद, प्रभ
दादा :- परमेश्वेर , गुरु, सतिगुरु , यां प्रभू 
पोता :- मन , ध्यान , सुरत    

-  गुरजीत सिंघ आस्ट्रेलिया


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